
NETAJI SUBHASH CHANDER JAYANTI CELEBRATION
एचपीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वी जयंती के उपलक्ष में मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें वर्तमान समय में नेताजी की आवश्यकता विषय पर मंथन किया गया| इस विषय पर विभिन्न अध्यापक-अध्यापिकाओं ने अपने विचार के विचार प्रस्तुत किए| विद्यालय शिक्षा निदेशक सुजाता सचदेवा ने नेता जी के किटर पर माल्यार्पण कर कार्यक्र्म का शुभारंभ कियाए उनसा जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि नेताजी में जो संगठन की शक्ति थी तथा दूरगामी दृष्टिकोण था उसकी आज बहुत जरूरत है और शिक्षक वर्ग को इसकी अत्यधिक जरूरत है क्योंकि कोरोना काल में शिक्षा को बचाने के लिए ऐसी एकाग्रता तथा मेहनत से देश की सेवा करनी होगी| आज के दिन हम उन्हें विशेष रूप से नमन करते हैं तथा उनके द्वारा किए गए कार्यों से भारत को जो आजादी मिली है उसे सँजो कर रखने का संकल्प लेते है| नेताजी के जन्म दिन को पराक्र्म दिवस के रूप मनाने का एक सराहनीय निर्णय सरकार के द्वारा लिया गया है और हम सबको राष्ट्र निर्माता होने के नाते पराक्रमी बनना होगा और विद्यार्थियों की पराक्रमी बनना होगा| इस अवसर पर बोलते हुए विद्यालय प्रिंसिपल आचार्य रमेश सचदेवा ने नेता जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नेताजी की मृत्यु की केवल तीन ही अवस्थाएं हैं या तो वे विमान क्रैश में मारे गए या उनको मार दिया गया या वो भगवन के नाम से 1988 तक उत्तर प्रदेश में रहे| उनकी मौत आज भी रहस्य का विषय है और ऐसी महान विभूति को यदि किसी ने हत्या की है तो उनके सजा भी अब संभव नहीं है क्योंकि बहुत से दोषी मृत्यु लोक में पहुंच चुके हैं| परंतु सच को सामने लाना ही होगा| आज के विद्यार्थी को नेताजी का जीवन परिचय पूरी तरह से पढ़ना तथा उसे समझना बहुत जरूरी है क्योंकि नेता जी वास्तव में ऐसी विभूति थे जिन्हें हिटलर ने नेताजी की उपाधि दी थी| हितले ने अपने एक भारतीय साथी से पूछा था की भारत में जो सर्वस्व न्योछावर कर समाज का नेतृत्व करता है उसे क्या कहते हैं और उसे जब बताया गया कि उसे नेता कहा जाता है तो हितले ने उन्हे नेता कहा और बाद मेन वे नेताजी के नाम से ही जाने जाने लगे| इस अवसर पर पंजाबी शिक्षिका मैडम नवनीत कौर तथा शारीरिक शिक्षक हरबक्श सिंह व इतिहास शिक्षिका गीता रानी ने भी नेता जी के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि इतने आयोगो के गठन के बावजूद भी उनका लापता होना एवं उनका निधन अभी भी रहस्य के आवरण में लिपटा हुआ है| ताइवान, जर्मनी जापान सिंगापुर आदि देशों में जिस प्रकार नेताजी ने भारत कि आजादी कि लड़ाई लड़ी वह अपने आप में एक मिसाल है| सभी के द्वारा आज के समय में नेताजी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को अपनाने पर बल देने कि बात कही गई तथा पराक्रमी बनने का संकल्प लिया|
Partiction Fee:-Rs.NOTHING
Partiction Rules:-
Activity Incharge:-PRINCIPAL
guest of honour :-
judges :-
Partiction Classess :-