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नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेता जी बोस की 127वी जयंती

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा.....! जय हिन्द! दिल्ली चलो, जैस करिश्माई नारों से देश की आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 23 जनवरी को 127वीं जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा लेता है। देश के स्वाधीनता आंदोलन के नायकों में से एक नेताजी की जीवनी, उनके विचार और उनका कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है। ये शब्द के लेक्चरार तुषार शर्मा ने  एचपीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेता जी बोस की 127वी जयंती के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम मे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहे। 

एचपीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वी जयंती के उपलक्ष में मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें वर्तमान समय में नेताजी की आवश्यकता विषय पर मंथन किया गया और विषय पर विभिन्न अध्यापक-अध्यापिकाओं ने अपने विचार के विचार प्रस्तुत किए। जीव विज्ञान के लेक्चरार तुषार शर्मा ने नेता जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और कहा कि नेताजी में जो संगठन की शक्ति थी तथा दूरगामी दृष्टिकोण था, उसकी आज बहुत जरूरत है और शिक्षक वर्ग को इसकी अत्यधिक जरूरत है क्योंकि वर्तमान समय में शिक्षा को बचाने के लिए ऐसी एकाग्रता तथा मेहनत से देश की सेवा करनी होगी।  
विद्यालय शिक्षा निदेशक एवं प्रिंसिपल आचार्य रमेश सचदेवा सचदेवा ने कहा कि आज के दिन हम उन्हें विशेष रूप से नमन करते हैं तथा उनके द्वारा किए गए कार्यों से भारत को जो आजादी मिली है उसे संजो कर रखने का संकल्प लेते है। नेताजी के जन्म दिन को पराक्रम दिवस के रूप मनाने का एक सराहनीय निर्णय सरकार के द्वारा लिया गया है और हम सबको राष्ट्र निर्माता होने के नाते पराक्रमी बनना होगा और विद्यार्थियों की पराक्रमी बनना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी की मृत्यु की केवल तीन ही अवस्थाएं हैं या तो वे विमान क्रैश में मारे गए या उनको मार दिया गया या वो भगवन के नाम से 1988 तक उत्तर प्रदेश में रहे। उनकी मौत आज भी रहस्य का विषय है परंतु सच को सामने लाना ही होगा। आज के विद्यार्थी को नेताजी का जीवन परिचय पूरी तरह से पढ़ना तथा उसे समझना बहुत जरूरी है क्योंकि नेता जी वास्तव में ऐसी विभूति थे जिन्हें हिटलर ने नेताजी की उपाधि दी थी।

इस अवसर पर दसवीं कक्षा कि तनिशा, चेष्ठा, अरमानदीप सिंह व लविश कुलड़िया ने कहा कि ताइवान, जर्मनी जापान सिंगापुर आदि देशों में जिस प्रकार नेताजी ने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी वह अपने आप में एक मिसाल है।